गेंदा फूल अपनी खूबसूरती और धार्मिक महत्व के कारण किसानों और बागवानों के बीच काफी लोकप्रिय है. इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है, खासकर त्योहारों और शादी-ब्याह के मौसम में इसकी मांग बढ़ जाती है.
गेंदा की खेती सामान्यतः फरवरी-मार्च और जून-जुलाई में की जाती है.गर्मियों और बरसात के मौसम में इसकी रोपाई करने पर पौधे अच्छे से विकसित होते हैं और फूलों की पैदावार अधिक मिलती है.
हालांकि, ठंड के मौसम में भी इसकी खेती की जा सकती है, लेकिन इसके लिए नर्सरी तैयार करनी पड़ती है.
गेंदा ऐसी फसल है जिसे विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी और जैविक खाद से भरपूर जमीन सबसे उपयुक्त मानी जाती है.
ऐसी मिट्टी पौधों को पोषण और उचित नमी प्रदान करती है, जिससे जड़ें मजबूत होती हैं और फूलों की पैदावार अधिक होती है. सही मिट्टी और खाद के चयन से गेंदा की खेती से बेहतर मुनाफा सुनिश्चित किया जा सकता है.
गेंदा की खेती के लिए खेत की मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए. इस संतुलित pH स्तर से पौधों की जड़ें मजबूत होकर बेहतर विकास कर पाती हैं.
सही मिट्टी और pH स्तर अपनाने से पौधों की सेहत अच्छी रहती है और फूलों की पैदावार भी अधिक होती है, जिससे किसान को बेहतर मुनाफा हासिल होता है.
खेती की शुरुआत में खेत को अच्छी तरह जुताई करके भुरभुरी मिट्टी तैयार करें. इसके बाद गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालें.पौधे की नर्सरी तैयार करने के लिए गेंदा के बीजों को हल्की मिट्टी में बो दें.
बीज बोने के 15-20 दिन बाद, जब पौधे 4-5 पत्तियों वाले हो जाएं, तो उन्हें मुख्य खेत में रोपाई कर दें. रोपाई के दौरान पौधों के बीच 30-40 सेंटीमीटर की दूरी रखना जरूरी है,
ताकि हर पौधे को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. इससे पौधों की जड़ें सही तरीके से विकसित होती हैं और फूलों की अच्छी पैदावार सुनिश्चित होती है.
गेंदा की खेती में सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन मिट्टी हमेशा हल्की नमीदार रहनी चाहिए. बरसात के मौसम में जल निकासी का उचित इंतजाम करना बेहद जरूरी है,
वरना पौधे पानी में सड़ सकते हैं. खेत में सही नमी और जल निकासी बनाए रखने से पौधों की सेहत बेहतर रहती है और फूलों की पैदावार भी अधिक होती है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
गेंदा की खेती में रोग और कीट नियंत्रण बेहद जरूरी है, क्योंकि फूलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पैदावार को प्रभावित कर सकते हैं. किसानों के लिए सलाह है कि जैविक दवाओं या नीम के तेल का नियमित छिड़काव करें.
इससे कीटों से सुरक्षा होती है और पौधों की सेहत बनी रहती है. सही देखभाल और कीट नियंत्रण अपनाकर गेंदा की खेती से अधिक फूल और बेहतर मुनाफा सुनिश्चित किया जा सकता है.
जब पौधे ठीक से विकसित हो जाते हैं तो 2-3 महीने बाद फूल आना शुरू हो जाते हैं.गेंदा फूल की तोड़ाई सुबह या शाम के समय करना सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इस समय फूल ताजगी बनाए रखते हैं. सही समय पर तोड़ाई करने से पैदावार और बाजार मूल्य दोनों अच्छे मिलते हैं.