IPS और आर्मी ऑफिसर दोनों के कंधों पर देश की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी होती है। दोनों की ताकत और सोशल स्टेटस अलग-अलग जगह दिखती है। आइए जानते हैं IPS और आर्मी ऑफिसर में कौन कितना पावरफुल होता है।
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आईपीएस सिविल लेवल पर कानून व्यवस्था संभालते हैं और क्राइम कंट्रोल करते हैं, जबिक आर्मी ऑफिसर बॉर्डर पर दुश्मन से लड़ते हैं, जंग या आपदा जैसी इमरजेंसी में हालात संभालते हैं।
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आर्मी ऑफिसर जंग में बड़े फैसले लेते हैं और हथियारों को इस्तेमाल करते हैं। वहीं आईपीएस ऑफिसर सर्च, अरेस्ट और इन्वेस्टिगेशन में माहिर होते हैं, इनकी फायर करने की पावर सीमित होती है।
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आईपीएस CBI, IB जैसी एजेंसियों के तहत इंटरनल सिक्योरिटी, इंटेलिजेंस और वीआईपी सिक्योरिटी चलाते हैं, वहीं आर्मी बाहरी खतरे पर ज्यादा फोकस्ड होते हैं। हालांकि बड़े खतरे में आर्मी ही मोर्चा संभालती है।
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IPS ऑफिसर SP या DGP, और पब्लिक लाइफ पर डिसीजन लेते हैं। आर्मी का एडमिन सिर्फ सेना तक सीमित रहता है। इसलिए प्रशासनिक लेवल पर IPS का इन्फ्लुएंस ज्यादा होता है।
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लेवल 10: लेफ्टिनेंट (सेना) = असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP), लेवल 11: मेजर (सेना) = SP, लेवल 14: मेजर जनरल (सेना) = IG, और लेवल 18: मेजर जनरल (सेना) = कैबिनेट सचिव।
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IPS और आर्मी ऑफिसर की सैलरी 7वें पे कमीशन के हिसाब से ( लेफ्टिनेंट VS ASP) 56,100 रुपये है। इसके अलावा आर्मी ऑफिसर को मिलिट्री सर्विस पे (MSP) और IPS को सिविल अलाउंस मिलता है।
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IPS की ट्रेनिंग के मुकाबले आर्मी की ट्रेनिंग ज्यादा टफ मानी जाती है। जहां आर्मी ट्रेनिंग फिजिकल बेस्ड ज्यादा होती है, वहीं IPS को क्राइम, साइबर और लॉ एंड ऑर्डर ज्यादा सिखाया जाता है।
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आईपीएस ऑफिसर राजनीतिक पछड़े में उलझ सकते हैं जो उनके फैसले लेने और काम में रुकावट बन सकता है, जबिक आर्मी ऑफिसर के साथ ऐसा नहीं है। वे पॉलिटिकल इन्फ्लुएंस से कोसों दूर रहते हैं।
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दोनो सेवाओं में इंटरनेशनल लेवल पर सपोर्ट जरुरी है। जहां सेना सैन्य सहयोग में आगे हो सकती है, वहीं आईपीएस इंटरनेशनल पुलिस व्यवस्था और खुफिया जानकारी शेयर करके सुरक्षा बढ़ा सकते हैं।
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