आजकल बहुत से लोग कान का मैल यानी ईयरवैक्स से परेशान रहते हैं। इसे मेडिकल भाषा में सिरुमेन कहा जाता है। यह नेचुरल पदार्थ है जो कान की ग्रंथियों से बनता है।
हालांकि वैक्स कान की सुरक्षा के लिए जरूरी है। यह कान की नमी बनाए रखता है और उसे सूखने या जलन से बचाता है। लेकिन जब यह ज्यादा मात्रा में जमा हो जाता है तो कई तरह की परेशानियां शुरू हो सकती हैं।
ईयरवैक्स के नुकसान क्या हैं? कान का पीला मैल ज्यादा हो जाता है, तो ऐसे में कान बंद होने का अहसास, भारीपन, दबाव या ब्लॉकेज महसूस हो सकता है।
सुनने की क्षमता कम हो सकती है क्योंकि आवाज सही तरह से कान तक नहीं पहुंचती। कुछ लोगों को कान में लगातार भनभनाहट या घंटी बजने जैसी आवाज सुनाई देने लगती है।
अपोलो हॉस्पिटल में ईएनटी सर्जन डॉक्टर अजय जैन के अनुसार (ref.), कान में बनने वाला वैक्स कान को धूल, बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक कणों से बचाने का काम करता है। लेकिन जब वैक्स ज्यादा मात्रा में जमा हो जाता है कई दिक्कत हो सकती हैं।
डॉक्टर ने बताया कि सबसे अच्छा तरीका यही है कि वैक्स कान से अपने आप बाहर निकल जाए। इसके लिए जरूरी है कि वैक्स मुलायम बना रहे। बाजार में कई तरह के ओवर द काउंटर वैक्स सॉफ्टनिंग ईयर ड्रॉप्स उपलब्ध हैं
जिन्हें केमिस्ट से लेकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इन ड्रॉप्स को नियमित रूप से कान में डालने से वैक्स धीरे-धीरे नरम होकर अपने आप बाहर आ जाता है। इसमें कई दिन या हफ्ते भी लग सकते हैं, लेकिन यह सबसे सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका है।
अगर ईयर ड्रॉप्स इस्तेमाल करने के बाद भी वैक्स बाहर नहीं निकलता और कान ब्लॉक या भारी महसूस होता है, तो तुरंत ईएनटी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। एक्सपर्ट आपके कान की जांच करके यह तय करते हैं कि कौन-सा तरीका अपनाकर वैक्स निकाला जाए।
यह तरीका सबसे सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है। इसमें डॉक्टर खास मशीन से वैक्स को खींचकर बाहर निकालते हैं। इसे ड्राई क्लीनिंग भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पानी का इस्तेमाल नहीं होता और इन्फेक्शन का खतरा बहुत कम रहता है।
इसमें डॉक्टर कान में हल्के प्रेशर से पानी डालकर वैक्स को बाहर निकालते हैं। यह तरीका बच्चों में अक्सर इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि छोटे बच्चे सक्शन या मैनुअल पिकिंग में सहयोग नहीं कर पाते।
डॉक्टर खास उपकरणों की मदद से वैक्स को खुरचकर या निकालते हैं। हालांकि, इसमें हल्की चोट लगने का खतरा रहता है। इसलिए यह तरीका तब ही इस्तेमाल किया जाता है, जब अन्य तरीके काम न करें। कई बार डॉक्टर इन तीनों तरीकों का कॉम्बिनेशन भी इस्तेमाल करते हैं।
बड़ों में अधिकतर सक्शन या मैनुअल पिकिंग का उपयोग किया जाता है, जबकि बच्चों में पानी डालकर वैक्स हटाना आसान और सुरक्षित रहता है। बच्चों के मामले में डॉक्टर की निगरानी बेहद जरूरी है, क्योंकि उनकी कान की नली नाजुक होती है।
यह वेबस्टोरी केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।