Railway employees family pension : चंडीगढ़। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में रेलवे से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. इसमें रेलवे में लगे अस्थायी कर्मचारी को भी फैमिली पेंशन (Railway employees family pension) का लाभ मिलेगा. हालांकि इसमें एक शर्त भी जोड़ी है कि अस्थायी कर्मचारी की कम से कम 10 साल की सेवा पूरी होगी, तो ही कर्मचारी की मौत होने की स्थिति में परिवार पेंशन का पात्र होगा. बेशक कर्मचारी की औपचारिक स्क्रीनिंग न हुई हो.
हाईकोर्ट को केंद्र सरकार ने बताया कि एक कर्मचारी रेलवे में 1978 में कैजुअल लेबर लगा था. 1983 में उन्हें अस्थायी स्टेट्स प्रदान किया गया. साल 1999 के फरवरी माह में उसकी 21 साल की नौकरी हो चुकी थी और तभी ड्यूटी के दौरान रेलवे कर्मचारी की ट्रेन हादसे में मौत हो गई.

रेलवे कर्मी की मौत के बाद पत्नी ने किया था पेंशन का दावा (Railway employees family pension)
21 साल की सेवा में 16 साल अस्थायी स्टेट्स पर कर्मचारी था. इसलिए कर्मचारी की मौत के बाद उसकी पत्नी ने फैमिली पेंशन का दावा किया. रेलवे ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि कर्मचारी की स्क्रीनिंग नहीं हुई थी. इसके बाद कर्मचारी की पत्नी ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल का सहारा लिया। ट्रिब्यूनल ने तीन अगस्त 2018 को पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पेंशन का लाभ देने के आदेश दिए.
केंद्र सरकार का तर्क : कर्मी की नहीं हुई थी स्क्रीनिंग (Railway employees family pension)
मृतक की पत्नी ने कहा कि उनके पति ने 21 वर्षों तक रेलवे में सेवाएं दीं और ड्यूटी के दौरान उनकी मौत हुई लेकिन केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि मृतक कर्मचारी की कभी भी स्क्रीनिंग नहीं हुई थी और स्क्रीनिंग के बिना फैमिली पेंशन लाभ नहीं मिल सकती.
हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला (Railway employees family pension)
इस पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रेलवे बोर्ड के 26 अक्टूबर 1965 के पत्र के अनुसार कैजुअल लेबर को छह माह सेवा के बाद टेंपरेरी स्टेटस मिलने पर और एक वर्ष बाद अस्थायी पद पर पेंशन का अधिकार मिल जाता है. मृतक कर्मी ने 1983 से 1999 तक 16 वर्ष की सेवा टेंपरेरी स्टेटस में की, जो आवश्यक 10 वर्षों से कहीं अधिक है. इस पर उसकी पत्नी को फैमिली पेंशन के आदेश दिए.











