India-Saudi Arabia : साऊदी अरब व पाकिस्ता के बीच हुए रक्षा संबंधों के बाद जियो राजनीति पर गहरा असर दिख रहा है। साऊद अरब साफ कर चुका है कि यदि पाकिस्तान पर हमला होता है तो इसे साऊदी अरब पर हमला माना जाएगा। पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध शुरू से ही काफी खराब व कटूता भरे रहे हैं। पाकिस्तान पर भारत में आतंकवाद फैलाने और इसके लिए फंडिंग करने के आरोप लगते रहे हैं। पिछले कुछ समय में भारत में हुई आतंवादी घटनाओं के बाद भारत की सेना ने पाकिस्तान के अंदर तक घुस कर कार्रवाई भी की है।
सबसे ताजा कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर रही है। इस ऑपरेशन की भूमिका इस साल कशमीर के पहलगाम भारतीय आम नागरिकों पर हुए हमलने के बाद बनी। इसमें भारतीय सरकार भी बहुत दबाव में रही और आखिरकार पाकिस्तान में कार्रवाई की गई। यह पहला मौका नहीं रहा, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुस कर वहां पर बने आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।
India-Saudi Arabia : पाकिस्तान को नहीं मिलता किसी देश का समर्थन
इससे पहले भी यह होता रहा है। यह कार्रवाई होने के बावजूद पाकिस्तान को किसी भी देश का समर्थन नहीं मिला। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कहते रहते हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच चले संघर्ष को बंद करवाया। इस पर भी भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप के इस बयान का खंडन किया था।
भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद अलग थलग पड़े पाकिस्तान को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार साथ किसी देश से मिला है। वह भी साऊदी अरब जैसे संपन्न देश से । इसका अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर तो असर पड़ रही है, सबसे अधिक असर भारत – साऊदी अरब के बीच स्थापित संबंधों पर पड़ेगा।
2010 में तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने किया था दौरा
हालांकि 1947 से ही भारत व साऊदी अरब के बीच राजनेयीय सबंधं रहे हैं। व्यापार की दृष्टि से भी दोनों देश के संबंध काफी महत्वपूर्ण हैं। 2006 में सऊद अरब के किंग भारत दौरे पर आए थे। तब देनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसे ‘दिल्ली घोषणापत्र’ के नाम से जाना जाता है। फिर 2010 में भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सऊदी अरब का आधिकारिक दौरा किया और वहां पर रियाद ‘घोषणापत्र’ दोनों देशों के बीच हस्ताक्षर हुए। यह संबंध लगातार प्रगाड़ होते रहे, 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सऊदी अरब की यात्रा की।
इस दौरान भारत – साऊदी अरब संबंधों के बीच नई गर्माहट आई और प्रधानमंत्री को ‘किंग अब्दुलअजीज सैश’ खिताब दिया गया। व्यापार की दृष्ट से सऊदी अरब भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। हालांकि सऊदी अरब भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश है। कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब की यात्रा की थी।
India-Saudi Arabia रू एशिया में बन रहे न राजनीतिक संबंध
इस यात्रा के दौरान आए सांझा बयान में दोनों राष्ट्रों के बीच स्ट्रैटिजिक म्यूचुअल डिफेंस समझौता पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया हुई। इसके तहत तय हुआ कि दोनों देश किसी भी आक्रामकता के विरुध मिलकर कार्रवाई करेंगे। यदि इन दोनों देशों में से किसी एक के विरुध हमला होता है तो इसको दोनों के खिलाफ समझा जाएगा। यही कारण है कि इस पूरे घटनामक्रम में भारत- साऊदी अरब के संबंधों पर असर पड़ रहा है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी कह चुके हैं कि भारत द्वारा पाकिस्तान पर हमले की स्थिति में इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा।
दोनों देश एक साथ मिल कर मुकाबला भी करेंगे। यह समझौता होने के बादर भारत-पाकिस्तान के संबंधों की छाया में भारत के साथ साऊदी अरब के संबंधों पर किस प्रकार होगी इसकी समीक्षा हर हो रही है। हालांकि जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान के साथ इस प्रकार का विवाद होने पर साऊदी अरब पाकिस्तान का साथ सीधे तौर पर नहीं देगा। साऊदी अरब के लिए भारत के साथ संबंध भी बहुत महत्व रखते हैं। वहीं जब भारत, चीन व रूस जैसे देश मिल कर नई शक्ति के रूप में एकजुट हो रहे हैं, ऐसे में एशिया में नए रानीतिक संबंध बन रहे हैं।












