Annual Fastag For Commercial Vehicle : देश में सार्वजनिक परिवहन और सुगम और बेहतर बनाने की दिशा में काम करते हुए केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने एक और ऐलान किया है। हाल ही में पर्सनल वाहनों का वार्षिक पास बनाने की सुविधा लागू की थी, जिसके बाद अब कमर्शियल वाहनों के भी वार्षिक पास बनाए जाने को लेकर योजना का ऐलान केंद्र सरकार की तरफ से कर दिया गया है। ट्रांसपोर्ट के ट्रक के अलावा प्राइवेट बस संचालकों को इससे ज्यादा फायदा होगा। सार्वजनिक परिवहन में प्राइवेट बस सेवा ही फिलहाल सबसे बड़ा नेटवर्क है।
बता दें कि बस एंड कार ऑपरेटर्स कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया का आंकड़ा गवाह है कि पूरे देश में 92 प्रतिशत बसें प्राइवेट सेक्टर की हैं। एक अनुमान के अनुसार इनकी संख्या 20 लाख के करीब है और दावा किया जाता है कि देश भर में 40 करोड़ के करीब यात्री प्रतिदिन सार्वजनिक परिवहन की बसों में सफर करते हैं। इनमें 32 करोड़ यात्री तो प्राइवेट बसों में होते हैं। इसके अलावा पांच लाख के करीब यात्री हवाई सेवाओं से, 2.40 करोड़ यात्री रेलवे और 1.15 करोड़ यात्री मेट्रो की सवारी करते हैं।
Annual Fastag : निजी वाहनों के लिए शुरू किया है वार्षिक फास्टैग सिस्टम
सार्वजनिक परिवहन का इतना बड़ा माध्यम होने के बावजूद पर्याप्त सुविधाएं न मिलने की शिकायत कन्फेडरेशन की ओर से मंत्रालय से की गई। इस पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने आश्वस्त किया है कि जिस तरह निजी कार चालकों के लिए तीन हजार रुपए का वार्षिक फास्टैग शुरू किया गया है, उसी तरह की सुविधा राज्य परिवहन व निजी बस और कैब चालकों को देने पर विचार किया है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार मंत्रालय की तरफ से अध्ययन कराया जा रहा है कि इस सुविधा को किस तरह से दिया जा सकता है कि परिवहन सेवा के संचालकों को लाभ पहुंचे।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कमर्शियल व्हीकल (Commercial vehicle) की अधिकतम गति सीमा कम और निजी वाहनों की अधिकतम गति सीमा अधिक होने की व्यवस्था से भी वह सहमत नहीं हैं। राज्यों के परिवहन मंत्रियों की बैठकों में केंद्र की ओर से कई बार कहा गया है कि गति सीमा को लेकर एकरूपता लाई जानी चाहिए। अभी राज्य सहमत नहीं हुए हैं, लेकिन प्रयास चल रहे हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी गडकरी (Mantri nitin gadkari) ने सुझाव दिया है कि निजी बस संचालक एफपीओ की तरह समूह बनाकर आवेदन करें तो रोड साइड एमेनिटीज के लिए परिवहन मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। यदि ऐसे प्रस्ताव सामने आते हैं तो मंत्रालय इस संबंध में नीति बनाएगा।











