DaadiPoti Book Bank : देश का पहला दादी-पोती बुक बैंक ऑफ भारत है, जो बेटियों को सरकारी नौकरियों में करियर बनाने के लिए किताबें बेटियों का नाम और पता जाने बिना ही दे रहा है। यह हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव (Bibipur Village) में बना है। इस बुक बैंक से जो बेटियां पुस्तकें लेती हैं, वह पुस्तकों को वापस लौटाने के लिए बाध्य भी नहीं हैं।
इस बुक बैंक से जींद के आसपास के 20 से 25 गांवों की बेटियों की जिंदगी ज्ञान से रोशन हो रही है। देश के इस पहले दादी-पोती बुक बैंक ऑफ भारत की डॉयरेक्टर अनीता जागलान रेढू बताती हैं कि हमारे समाज में अक्सर बेटों को कुल दीपक माना जाता है, जबकि बेटियों को उतनी पहचान नहीं मिलती। मेरी खुद की दो पोतियां हैं, जो हमारी कुल ज्योति हैं। हमारे परिवार को उन पर गर्व है ।

अनीता कहती हैं कि उनकी और उनकीपोतियों की जोड़ी बहुत ज़बरदस्त है। पोतियों ने उन्हें 62 वर्ष की उम्र में सोशल मीडिया पर आने के लिए सिखाया। उनकी पोतियां उनसे पुराने समय की कहानियां और बातें सुनने में रूचि रखती हैं।
DaadiPoti Book Bank : पोती नंदिनी और याचिका से मिली दादी-पोती बुक बैंक ऑफ भारत की प्रेरणा
अनिता बताती हैं कि दादी- पोती बुक बैंक ऑफ भारत शुरू करने की प्रेरणा उन्हें उनकी पोतियां याचिका और नंदिनी से मिली। इस बुक बैंक से लड़कियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निशुल्क पुस्तकें मुहैया करवाई जाती हैं। दादी- पोती बुक बैंक की खासियत यह है कि लड़कियों को पुस्तकें लेने के लिए अपनी पहचान बताने या पुस्तकें वापस करने की कोई बाध्यता नहीं है। उनके बुक बैंक से पुस्तकें लेने वाली बेटियों की मर्जी पर है कि वह पुस्तकें वापस करना चाहती हैं या नहीं।
अनिता जागलान रेढू ने बताया कि उनकी दोनों पोतियां भी इस बुक बैंक में डॉयरेक्टर हैं । इसमें अनिता अपनी हर महीने की पेंशन से पुस्तकें खरीदती हैं, जिनसे जींद के आसपास के 20-25 गांवों की बेटियों की दुनिया ज्ञान की रोशनी से रोशन हो रही है। अब तक बीबीपुर के इस दादी- पोती बुक बैंक ऑफ भारत से ग्रामीण क्षेत्र की हजारों बेटियां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पुस्तकें ले चुकी हैं।

DaadiPoti Book Bank : लैंगिक समानता लाने का भी मकसद
बीबीपुर गांव में दादी- पोती बुक बैंक ऑफ भारत की संस्थापक अनिता का कहना है कि बेटियों के लिए इस बुक बैंक की स्थापना के पीछे मकसद बेटियों को उनके पैरों पर खड़ा होने में मदद के साथ- साथ लैंगिक समानता लाने का भी है। इस समय हरियाणा में सरकारी नौकरियां बिना पर्ची और खर्ची के दी जा रही हैं, जिससे उनके बुक बैंक से प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकें लेकर बेटियां सरकारी नौकरी में अपना करियर बना सकती हैं।
अगर जींद के आसपास किसी और गांव में बेटियों के लिए ऐसा बुक बैंक बनता है, तो वहां पर भी इस बुक बैंक से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पुस्तकें भेजी जाएंगी। दादी- पोती बुक बैंक ऑफ भारत के पीछे उनका मकसद है कि लैंगिक समानता बनी रहे और घर में बेटियों पर गर्व महसूस किया जाए।
उन्होंने कहा कि अगर दादियों का साथ बहुओं को मिल जाए और फिर जो उनकी पोतियां जन्म लेती हैं, तो कभी भी कन्या भ्रूण हत्या नहीं होगी। फिर कोई भी लड़की कुपोषण की शिकार नहीं होगी और लड़कियों को उनके बराबर के अधिकार मिलेंगे।











