Jind Mausam : जींद में पिछले 10 दिनों से रूक-रूककर हो रही बारिश के बाद अर्जुन स्टेडियम और नरवाना के खेल स्टेडियम में पानी भरा हुआ है। इसके चलते 12 सितंबर से होने वाले हैंडबॉल और खो-खो के राज्य स्तरीय खेलों को स्थगित किया गया है। स्टेडियम से पानी निकालने और सूखाने के बाद ही दोबारा से शेडयूल जारी किया जाएगा। वहीं खेतों में जलभराव के चलते 261 गांवों से 63593 एकड़ में नुकसान की शिकायत पोर्टल पर आ चुकी है।
जींद के जुलाना व नरवाना क्षेत्र में मंगलवार दोपहर बाद हल्की बारिश हुई। नरवाना और जुलाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा फसलें पानी में डूबी हैं। जुलाना के जिन गांवों में बारिश हुई, उससे खेतों में दोबारा जल स्तर बढ़ गया है। धान की अगेती बासमती धान में बालियां आनी शुरू हो गई हैं। किसानों बिजेंद्र, रामफल, सुरेश, रामकुमार, विजेंद्र मराठा का कहना है कि अगर जल्द ही खेतों से पानी नहीं निकला, तो बालियों के बोझ के कारण धान की फसल गिरेगी और बीमारियों की चपेट में आएगी। मंगलवार देर शाम सात बजे तक जिले के 261 गांवों के 9757 किसान 63593 एकड़ फसल में नुकसान की शिकायत क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करवा चुके हैं। जिले में करीब दो लाख हेक्टेयर में धान और 20 हजार हेक्टेयर में कपास की फसल है।

Jind Mausam : किसान 24 घंटे बिजली की मांग कर रहे
सिंचाई विभाग ने जुलाना व पिल्लूखेड़ा क्षेत्र में खेतों से बरसाती पानी निकालने के लिए बिजली निगम से 24 घंटे बिजली सप्लाई की अनुमति ली थी। पांच सितंबर तक के लिए ये अनुमति थी। लेकिन कई गांवों में विभाग ने पांच सितंबर से आगे 24 घंटे बिजली सप्लाई की अनुमति नहीं बढ़वाई। शामलो कलां, खिमाखेड़ी, भिड़ताना, मोरखी गांव के किसानों का कहना है कि उनके खेतों में अभी भी दो से तीन फीट तक पानी भरा हुआ है। 24 घंटे बिजली मिलने पर ही खेत से पानी निकल पाएगा। किसानों का कहना है कि कम मोटर चलने की वजह से पड़ाना-शामलो कलां ड्रेन में जलस्तर बढ़ा है। जबकि उनके खेतों से भी कम निकल पा रहा है।
ब्लॉक अनुसार क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज हुई शिकायत
ब्लाक -गांव -किसान -एकड़
अलेवा -22 -156 -1005
जींद -60 -950 -5786
जुलाना -30 -1299 -9033
नरवाना -58 -4548 -29128
पिल्लूखेड़ा -22 -157 -12530
सफीदों -22 -58 -445
उचाना -47 -2642 -16945
मौसम वैज्ञानिक डा. राजेश कुमार ने बताया कि 12 सितंबर तक मानसून की सक्रियता घटने से जिले में मौसम साफ रहने की संभावना है। इस मौसम में धान की फसल में बीमारी आने का खतरा रहता है। किसान निगरानी रखें और बीमारी के लक्षण दिखाई देने से विशेषज्ञों से सलाह लेकर स्प्रे करें।











