Dhaniram Mittal : आपने छोटे-मोटे रुपयों की ठगी, जमीन की ठगी, सोने-चांदी की ठगी के किस्से सुने होंगे लेकिन आज हम आपको ऐसे ठग का किस्सा बता रहे हैं, जिसने हरियाणा की कोर्ट में फर्जी जज बनकर 2 हजार से ज्यादा फैसले सुना डाले। इसमें खुद की रिहाई का भी एक केस शामिल था। इस ठग पर एक हजार से ज्यादा गाड़ियां चोरी के भी केस चल रहे थे। जज बनने के बाद हर रोज फैसले पर फैसले, जमानतें दे डाली लेकिन एक गलती से वह पकड़ में आ गया।
हम बात कर रहे हैं हरियाणा के धनीराम मित्तल की। धनीराम मित्तल ने रोहतक से Bsc की डिग्री और राजस्थान से LLB की डिग्री करने के बाद सरकारी नौकरी का प्रयास किया लेकिन नहीं मिल पाई। नौकरी नहीं मिलने पर उसने क्राइम की दुनिया में कदम रखा और लोगों के साथ ठगी करने लगा। पहले छोटी-मोटी ठगियां की। धनीराम मित्तल 100 बार जेल गया और उस पर 150 से ज्यादा केस रिजस्टर्ड थे। हरियाणा के अलावा पंजाब और राजस्थान में भी उसने ठगी के मामलों का अंजाम दिया।

Dhaniram Mittal : फर्जी लैटर तैयार कर जज को छुट्टी भेजा, खुद जज बनकर बैठा
साल 1980 की बात है। धनीराम मित्तल चाय की दुकान पर बैठा अखबार पढ़ रहा था, तभी उसे अखबार में एक खबर दिखी। झज्जर के एडिशनल सिविल जज के खिलाफ विभाग की जांच चल रही थी। उसी समय बैठे-बैठे धनीराम के मन में एक आइडिया आया। उसने एक फर्जी लैटर तैयार किया और फर्जी हाईकोर्ट का रजिस्ट्रार बनकर एडिशनल सिविल जज को यह फर्जी लैटर थमा दिया और उसे लंबी छुट्टी पर भेज दिया। इसके बाद उस जज की जगह पर खुद को अप्वाइंट किया हुआ बताया और कोर्ट लगानी शुरू कर दी।
Dhaniram Mittal : 40 दिन लगाई कोर्ट, हजारों कैदियों को दे दी जमानत
फर्जी जज धनीराम मित्तल ने करीब 40 दिन तक कोर्ट में बैठकर फैसले सुनाए और हर रोज कैदियों से लेकर बंदियों, अपराधियों को जमानत दे डाली। खुद की रिहाई का भी फैसला सुना दिया। कोर्ट में बैठने वाले वकीलों को शक हुआ कि इतने ताबड़तोड़ फैसले सुनाए जा रहे हैं, अपराधियों को जमानतें दी जा रही हैं तो उसके खिलाफ अंदरखाने इन्क्वायरी चालू कर दी। इसमें पता चला कि झज्जर कोर्ट में तो किसी भी धनीराम नाम के जज की नियुक्ति ही नहीं है। वो धनीराम मित्तल से इस बारे में पूछने के लिए आए तो धनीराम को अहसास हो गया कि उसका भांडा फूट गया है, इसलिए वह चुपके से वहां से फरार हो गया और पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाया।












