IMT Protest Jind : हरियाणा सरकार द्वारा पिछले दिनों जींद, फरीदाबाद समेत चार जगहों पर आईएमटी (IMT Protest Jind) की घोषणा की गई थी। घोषणा के बाद अब जमीन को एक्वायर करने के लिए सरकार ने पोर्टल खोला है। जो भी किसान अपनी जमीन बेचना चाहता है, उसे पोर्टल पर अपलोड करना होगा लेकिन जींद जिले में आईएमटी (IMT Protest Jind) का विरोध शुरू कर दिया गया है। जींद के 12 गांवों के लोग आईएमटी का विरोध करते हुए धरना देने की चेतावनी दे रहे हैं।
जींद की जाट धर्मशाला में एकत्रित होकर 12 गांवों के प्रमुख लोगों ने प्रेस कान्फ्रेंस की। ग्रामीणों ने 40 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी ने फैसला लिया कि 22 सितंबर को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके बावजूद भी उनकी बातों पर अमल नहीं हुआ तो फिर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और धरना देने की जरूरत पड़ी तो धरना शुरू किया जाएगा।
पेगां निवासी सुशील नरवाल, राजबीर लोहान, नगूरां निवासी धर्मपाल खटकड़ ने स्पष्ट रूप से कहा कि क्षेत्र के किसान सरकार को अपनी जमीन नहीं देंगे और वह सरकार से जमीन के रेट को लेकर भी किसी तरह की बातचीत नहीं करना चाहते। कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब नए हथकंडों से जमीन को हथियाना चाहती है और कारपोरेट को बेचना चाहती है। किसान किसी भी सूरत में अपनी जमीन को नहीं बिकने देंगे।

हसनपुर रविंद्र हसनपुर ने बताया कि जमीन किसान की मां के सामान है और हम इसको किसी भी कीमत पर बेचना नहीं चाहते। ढाठरथ से अजिंद्र ने कहा कि पहले शहरों में जिनकी जमीन गई हैं, उन किसानों का वजूद ही खत्म हो गया है। उन किसानों के बच्चे आज रेहड़ी फड़ी लगाकर अपना जीवन बसर कर रहे हैं।
दिल्लूवाला से युवा किसान गुरचरण ने कहा कि ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद भी उन्हें रोजगार नहीं मिला, इसलिए वह खेती के सहारे हैं। अगर आज जमीन नहीं होती तो उसके पास कोई रोजगार नहीं होता। खांडा गांव के राजा शर्मा ने भी इसी तरह की बातें कही।
सुशील नरवाल ने कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर देश में 46 प्रतिशत के लगभग रोजगार देता है जो सबसे ज्यादा है। 12000 एकड़ में लगभग 25000 हजार परिवार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपना पेट पाल रहे हैं जो सभी जमीन जाने के बाद बेरोजगार होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी गांव से 5 प्रतिशत किसान भी पोर्टल पर नहीं गए लेकिन सरकार ने पूरे गांव को ही पोर्टल पर दिखा दिया।
इससे सरकार की मंशा साफ नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि 22 सितंबर को पीएम और सीएम के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा जाएगा और इस पॉलिसी (IMT Protest Jind) को वापस लेने की मांग करेंगे। अगर सरकार फिर भी नहीं मानती तो ट्रैक्टर मार्च के लेकर धरना लगाने का रास्ता भी उनके पास बचता है। जरूरत पड़ी तो किसान संगठनों और खापों का सहारा भी लिया जाएगा। इस दौरान सोनू, सुदीप, विकास, राहुल, हरकेश, जगता, वीरभान, राजबीर, राजेश मौजूद रहे।











